तालिबान-रूस ट्रक विवाद और पाकिस्तान पर असर – सारांश बिंदुओं में:
1. तालिबान के ट्रक और रूस कनेक्शन:
तालिबान ने अनार से भरे ट्रक रूस भेजे, जिससे पाकिस्तान में हलचल मच गई। इन ट्रकों को लेकर दावा है कि रूस के दो एयर डिफेंस सिस्टम पाकिस्तान सीमा के पास एक्टिव किए गए हैं।
2. भारत का अप्रत्यक्ष फायदा:
पाकिस्तान से निपटने के लिए तालिबान ने भारत जैसे “कूटनीतिक फॉर्मूले” पर काम शुरू किया है। इससे भारत को रणनीतिक रूप से लाभ मिलने की संभावना है।
3. तुर्की में शांति वार्ता बेनतीजा:
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच इस्तांबुल (तुर्की) में हुई 15 घंटे लंबी वार्ता किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। इसके बाद तालिबान ने अपना रुख सख्त कर लिया।
4. कूटनीतिक हथियार के रूप में ट्रक:
तालिबान ने 30 साल बाद पहली बार सड़क मार्ग से रूस को 25 टन अनार भेजे — इसे पाकिस्तान को अलग-थलग करने की “डिप्लोमैटिक चाल” माना जा रहा है।
5. व्यापारिक पहल और रणनीतिक कदम:
अफगानिस्तान के कृषि मंत्रालय के अनुसार यह खेप रूस के साथ दीर्घकालिक व्यापारिक संबंध स्थापित करने के उद्देश्य से भेजी गई है। इसकी कीमत लगभग 25,000 डॉलर है।
6. रूस के साथ नए व्यापारिक गलियारे:
तालिबान का कहना है कि यह पहली बार है जब कंधार के अनार रूस पहुंच रहे हैं — यह अफगानिस्तान के फल निर्यात को विविधता देने की दिशा में अहम कदम है।
7. पाकिस्तान को झटका:
पाकिस्तान सीमा पार बंद होने से अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को अनार का निर्यात रोक दिया है। अब तालिबान ने रूस को नया बाजार बना लिया है।
8. भविष्य की योजना:
यदि पायलट खेप सफल रही, तो फसल के अंत तक 250 टन तक अनार रूस भेजे जाएंगे, जिससे अफगान-रूस व्यापार संबंध और मजबूत होंगे।
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